Aug 30, 2012

विवाह

आज चौपाल में काफी रौनक थी. गाँव के एक एक सदस्य अचानक चौपाल में आये इस रौनक कों ले काफी खुश थे. और खुश हों भी क्यूँ ना, पहली बार गाँव में वाद-विवाद का प्रतियोगिता जो हों रही थी. सोनी टीवी पर नया कार्यक्रम जो आ रहा था “लव मैरेज : अर्रेंज मैरेज”. गाँव पर हमारी बिजली नही पहुची थी, कहते हैं सरकारी बिजली की रफ़्तार बड़ी धीमी होती है. पर इतनी धीमी होंगी सोचा ना था. गाँव के कच्चे रास्ते के किनारे बिजली की पोस्ट लगवायी थी सरकार ने, निक्कर पहन कर हम बगल में बस्ता दबाए उस पर चलते चलते इतने बड़े हों कि अब वही खेल मेरे बेटे खेलते हैं. अलसाई सी सरकारी लेम्प पोस्ट आज भी वही पडी है. अब ऐसे अलसाये पोस्ट पे बिजली क्या आये. खैर, छोडिये सरकारी काम काज का क्या. बिजली नहीं है गाँव में पर सोनी तों क्या हर चेनेल हमे मिलती है और इन्वेर्टर और जेनेरेटर के बदौलत लोग खेलकूद और गपियाने से अच्छा एकता कपूर के सास-बहु के कार्यक्रम में व्यस्त हों गए है.
सोनी टीवी वाले ने हमारे गाँव कों भी धर दबोचा और कर दिया आयोजित, एक मुकाबला : “प्रेम विवाह या नियोजित विवाह ?” मुकाबला: www.facebook.com/LoveYaArrange. मुकाबले में कई इनाम भी उद्घोषणा कर डाले. एक तों टीवी में दिखने का लालच और दूसरा, प्रात्योशिक इतना अच्छा था कि पड़ोस के गाँव से तों क्या शहर से भी कुछ प्रतियोगी आ गए थे. यहाँ मेले सा माहौल बन पड़ा था. चौपाल के दूर दायें कोने पर ददुआ चाचा भी अपना चाय का दूकान खोल दिए थे, पकौड़ी तलने के लिए तों तों आज चाची भी आ गयी थी, पड़ोस के गाँव में ब्याही मुनिया दिदिया कों भी बुला लिया था, आज आमदनी का अच्छा माहौल जो था. गाँव का मनचला भी चाईनीज खाने का दूकान खोल दिया था जो चाईना का कम और गाँव का ज्यादा बन सा गया था. इधर तों चिनिया काकी भी चूड़ी का दूकान सजा बैठी थी. प्रतियोगिता एक मेला सा बन गया था, जो भाग नहीं ले पाए, दुकान खोल कर या कुछ बेच कर भाग ले रहे थे.  शहर से तों डीजे का सेट भी ले आया गया था. सामने दर्शकगण के लिए टीन का कुर्सी बीछा हुआ था और आगे दरी बीछा कर बच्चों के बैठने का जगह भी बना था. पास पड़ोस के छत पर भी एक मजमा बना हुआ था..सब वहीँ से देखने के लिए बैठे हुए थे. मुख्या अतिथि के रूप में मुखिया जी राजेंद्र पाण्डेय आने वाले थे तों उन्ही के यहाँ बसे सोफा भी ले आई गयी थी. कुछ और भी सोफा बीछाये थे कि सोनी टीवी के साहब आ कर बैठे.समय कैसे बित रहा था इस माहौल में पता ही ना चला. अचानक मंच के कोने में हलचल हुई तों पता चला मुखिया जी सोनी के साहब के साथ आ गए थे.
स्टेज पर उद्घोषिका भी सज धज के पहुच गयी थी. उनके आमंत्रण पर मुखिया जी दो शब्द कहने आये. कहने लगे : “सभी श्रोता गन का आभार इहवाँ आने का और सोनी टिभी वालो का भी की ई गाँव में  मेला सजा दिए परतीयोगिता लगाये के. हमो सोच रहे थे कि ई कवन विषय पे मार होने लगा रे भई? वियाह तों वियाह है, वियाह तों हमारे ज़माने में होता रहा. वियाह के वखत तक तों चुन्मुनिया के माँई तों देखबे नहीं कि रही. देखी तब जब घुंघटा हम उठाये रतिया कों. तब से ले कर आजतक सात कों नान-बार (बच्चे) सहित चुन्मुनिया के माई संग वियाह बरकरार हई. आज कल जईसन थोड़े ना. खुदे लड़का लड़की एक दूसरे से मिले, वियाह के लिए राजी तों चट मंगनी पट शादी. और तों और पट से टूटियो जाए. अब कवन सही आवुर कवन गलत चल आज सब लोग मिल के देख लेते है. चलिए तों प्रोग्राम आगे बढ़ाया जाए और हम जा के बैठ के सुने नया जमाना...धन्यवाद”